..................................................अकेली लड़की मौका नहीं जिम्मेवारी है.................................. हम hisrory देखे तो औरतों कम इज़्ज़त
मिलती है पुरष के मुक़ाबले
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जैसे एक प्रथा जिसने पुरे भारत की छवि ख़राब की वह हैं शति प्रथा जिसमें किसी पत्नी का पति मर जाये तो उसको ज़िंदा पति के साथ जल दिया जाता tha.................
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समय बदला पर औरतों के साथ भेदभाव में फर्क नहीं आया
औरतून को आज कल भी परदे में रखने की प्रथा हैं
आज कल लड़कियों के गलत व्यार बढ़ता जा रहा हैं
आप दिन रात ख़बरों में यही सुन सकते हैं
के किसी लड़की के उप्पर तेज़ाब से हुम्ला किया गया किसी का बलात्कार किया गया किसी को मार दिया गया
जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे हमारी दूसरों के प्रति व्यहार में बदलाव अत जा रहा हैं
क्या हम एक सड़क पे हो रहे लड़की से छेछेखनी को क्यों नहीं रोकते क्या इसके पीछे हमारा डर हैं यह हमारा कन्नून हैं
हो सकता हैं दोनों
क्यूंकि जब भी सड़क पे हुई दुर्घटना में कोई व्यक्ति किसी की मदद करता हैं उलटे क़ानून दाव पेच में मदद करने वाले व्यक्ति भी फस जाता है
शायद यह ही वजय हैं के जल्द किसी के दूसरे के मुश्किल में पड़ना नहीं
कोर्ट ने अब यह भी लागु कर दिया के जो व्यक्त सड़क पे हुई दुर्घटना में किसी की मदद करेगा उसको नहीं कानून दाव पेच में पड़ना पड़ेगा
अगर लड़कियों के साथ हो रहे बलात्कार की बात करे तो यह भ एक गम्भीर समस्या हैं
एक ाखभार के अनुसार Delhi में तसबसे ज्यादा rape cases हुए हैं
2013 में १६३६
2012 mein ७०६
और यह बढ़ते जा रहे हैं
और अब इसके साथ ही तेज़ाब फेंकने की घटना भी बढ़ती जा रही हैं
पिछले 3 saal mein यह 300% tak bad gayi हैं
लाचार कानून इसके आगे बेबस हैं
बात सिर्फ कानून की नहीं हर कोई बेबस है उसमें हर व्यक्ति को लगता है के शायद उससे कुछ गलत न हो जाये
पर यह संशय का हल नहीं कानून समाज दोनों को मिल कर काम करना होगा
अगर आसान कानून और शिक्षा आगे ए तो कुछ फ़र्क़ लय जा सकता है
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जैसे अभी है
अभी लड़को को बोझ नहीं मन जाता है लडकियां कदम से कदम मिला कर चल रही है
यह पुरे समाज के लिए अच्छ है
और एक खुशाल भारत की नींव तभी रखीं जासकती है...............................
अच्छ लगा तो बताना नहीं लगा तो कारन बताना ....
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