मैंने नहीं देखा
क्या यह सोच रहे हैं आखिर ऐसा क्या हुआ जो यह कहना पर रहा है
अक्सर ऐसी बात हम सुनते हैं जब कोर्ट में कोई पूछताछ कर रहा होता हैं
क्यों कहते हैं हम
इसीलिए के कहीं हम उस में फस न जाये..
जब की कही बार हमने देखा होता हैं किस का कतल होते या कोई गुनाह होते
बस हम सिर्फ यही कह देते मैंने नहीं देखा
जब की आपने देखा होता हैं
पर आज कल हम इस बात पर विश्वास कर सकते हैं
के किसि नहीं देखा होगा?
क्यों अरे हम अपनी ज़िंदगी में इतने व्यस्त हैं ओह माफ़ करना हम whats aapp ,facebook ,में इतने व्यस्त है के यही देखते रहते हैं कितने like मिले
अपना स्टेटस क्या डालो ,,,
यह वह वह यह .................हा हा
बात मज़ाक की लगती हैं पर यह बहोत चिंता करने वाली हैं
मैं सिर्फ आप लोगों का ध्यान इस बात की तरफ लाना की कोशिश कर रहा हूँ के ऐसा क्या हो गया हैं
के हम दिन रात इस में व्यास्त हैं
हमारे बच्चे वह भी घर से बहार नहीं निकलते
एक play ground से सीधा हम कंप्यूटर की दुनिया में वयस्त हैं
कहाँ रह गए वह छु चलिका ,वह भाग दौर जिस कारन हम सब शारीरिक तोर भी चुस्त रहते थे
वह पार्क में टहलना वह दूसरों से अपने दुःख सुख बाटना
आजकल अगर किसी को कोई दुःख होता हैं तो वह Facebook पे डालता हैं ..WHATS APP पे अपने स्टेटस
डालता हैं
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
क्या तकनीक इतनी हावी हो गयई है हम पर के हम पूरी तरह उस पर निर्भर हैं दिन रात बू मोबाइल कंप्यूटर टेलीविज़न
क्या आपने यह सोचा है के जो हमको टीवी पे दिखया जा रहा हैं वह बनावटी हैं या सच हैं
हाँ कुछ हद तक सच हैं
हो झूठ भी
फैसला आपका ?
CONTACT:
NONYWITHLOVE@GMAIL.COM
FOLLOW @ TWITTER..... @nonywithlove10
क्या यह सोच रहे हैं आखिर ऐसा क्या हुआ जो यह कहना पर रहा है
अक्सर ऐसी बात हम सुनते हैं जब कोर्ट में कोई पूछताछ कर रहा होता हैं
क्यों कहते हैं हम
इसीलिए के कहीं हम उस में फस न जाये..
जब की कही बार हमने देखा होता हैं किस का कतल होते या कोई गुनाह होते
बस हम सिर्फ यही कह देते मैंने नहीं देखा
जब की आपने देखा होता हैं
पर आज कल हम इस बात पर विश्वास कर सकते हैं
के किसि नहीं देखा होगा?
क्यों अरे हम अपनी ज़िंदगी में इतने व्यस्त हैं ओह माफ़ करना हम whats aapp ,facebook ,में इतने व्यस्त है के यही देखते रहते हैं कितने like मिले
अपना स्टेटस क्या डालो ,,,
यह वह वह यह .................हा हा
बात मज़ाक की लगती हैं पर यह बहोत चिंता करने वाली हैं
मैं सिर्फ आप लोगों का ध्यान इस बात की तरफ लाना की कोशिश कर रहा हूँ के ऐसा क्या हो गया हैं
के हम दिन रात इस में व्यास्त हैं
हमारे बच्चे वह भी घर से बहार नहीं निकलते
एक play ground से सीधा हम कंप्यूटर की दुनिया में वयस्त हैं
कहाँ रह गए वह छु चलिका ,वह भाग दौर जिस कारन हम सब शारीरिक तोर भी चुस्त रहते थे
वह पार्क में टहलना वह दूसरों से अपने दुःख सुख बाटना
आजकल अगर किसी को कोई दुःख होता हैं तो वह Facebook पे डालता हैं ..WHATS APP पे अपने स्टेटस
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क्या तकनीक इतनी हावी हो गयई है हम पर के हम पूरी तरह उस पर निर्भर हैं दिन रात बू मोबाइल कंप्यूटर टेलीविज़न
क्या आपने यह सोचा है के जो हमको टीवी पे दिखया जा रहा हैं वह बनावटी हैं या सच हैं
हाँ कुछ हद तक सच हैं
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